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संगीत मन के लिए औषधि है- राजेंद्र प्रसन्ना

वाराणसी (सं.)। संगीत दिल से निकला साहित्य है। जहाँ शब्द खत्म होते हैं वहीं से संगीत का प्रारंभ होता है। यह सच ही कहा गया है कि संगीत जादू का सबसे सशक्त रूप है। संगीत मन के लिए औषधि है। शास्त्रों में भी इस संगीत की चर्चा इसी संदर्भ में की गयी है। स्पिक मैके के तत्वावधान में सनबीम स्कूल, इंदिरानगर में बनारस घराने के प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय बाँसुरी वादक एवं शहनाई वादक पंडित राजेंद्र प्रसन्ना और उनकी टीम द्वारा संगीत की एक मनमोहक लाईव प्रस्तुति दी गयी। सकारात्मक वातावरण में शास्त्रीय संगीत को प्रस्तुति ने छात्रों एवं अन्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सनबीम इंदिरानगर के छात्रों ने भी उनके साथ बाँसुरी की धुन पर गीत प्रस्तुत किया। यह न केवल हमारे युवा कलाकारों के लिए बल्कि दर्शकों के लिए भी सीखने का सुनहरा अवसर था। पंडित राजेंद्र प्रसन्ना को संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार से भी नवाजा गया है।




